नटखट अठखेली करे,देखें गोपी ग्वाल।
माखन मिश्री मुँह लगी,यशुमति का है लाल।
यशुमति का है लाल,बना वो सबका प्यारा।
मोर मुकुट है भाल,बदन पीतांबर न्यारा।
कहती'अभि'निज बात,तोड़ता मटकी झटपट।
बाल त्रिलोकीनाथ,करें नित लीला नटखट।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'
स्वरचित मौलिक
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