Monday, August 10, 2020

यशुमति का लाल

 नटखट अठखेली करे,देखें गोपी ग्वाल।

माखन मिश्री मुँह लगी,यशुमति का है लाल।


यशुमति का है लाल,बना वो सबका प्यारा।


मोर मुकुट है भाल,बदन पीतांबर न्यारा।


कहती'अभि'निज बात,तोड़ता मटकी झटपट।


बाल त्रिलोकीनाथ,करें नित लीला नटखट।


अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'

स्वरचित मौलिक

No comments:

Post a Comment

हाइकु शतक

 अभिलाषा चौहान'सुज्ञ' 1) कचरा गड्ढा~ चीथड़े अधकाया नवजात की। 2) शीत लहर~ वस्त्रविहीन वृद्ध  फुटपाथ पे । 3) करवाचौथ- विधवा के नैनों से...